Section 528 BNSS in Hindi : भारत की नयी दंड प्रक्रिया संहिता जिसे अब Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 (BNSS) कहा जाता है, उसमें Section 528 BNSS एक अहम भूमिका निभाता है। यह धारा, न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ी हुई है और इसमें कोर्ट की शक्तियों और प्रक्रिया से संबंधित महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि BNSS की धारा 528 क्या कहती है, इसका कानूनी महत्व क्या है, और इसका व्यवहारिक उपयोग कैसे होता है।
धारा 528 BNSS (2023) – ओवरव्यू टेबल
अधिनियम का नाम | भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita – BNSS 2023) |
धारा संख्या | धारा 528 (Section 528 BNSS) |
528 BNSS KYA HAI | 528 BNSS का मुख्य उद्देश्य है कि उच्च न्यायालय कानूनी प्रक्रिया में किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोक सके, अनावश्यक या गलत एफआईआर या मुकदमे को रद्द कर सके, और न्याय की सही दिशा सुनिश्चित कर सके। |
किसकी जगह आई है? | दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 482 |
मुख्य उद्देश्य | उच्च न्यायालय को न्याय की रक्षा हेतु अंतर्निहित शक्ति देना |
शक्तियां क्या हैं? | न्याय हित में आदेश पारित करना, प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकना, न्याय की पूर्ति करना |
कौन प्रयोग कर सकता है? | केवल उच्च न्यायालय (High Court) |
कब लागू होती है? | जब कोई मामला प्रक्रिया के दुरुपयोग, दुर्भावना या न्याय-विरोधी स्थिति से जुड़ा हो |
प्रक्रिया | याचिका दायर → उच्च न्यायालय सुनवाई → आदेश |
क्या FIR रद्द की जा सकती है? | हाँ, यदि न्यायहित में आवश्यक हो तो FIR या जांच भी रद्द की जा सकती है |
न्यायिक दृष्टिकोण | सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट समय-समय पर इसका प्रयोग न्यायिक संतुलन के लिए करते हैं |
हाल का उदाहरण | इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस धारा के अधिकार क्षेत्र को लेकर 9 जजों की पीठ गठित की है |
BNSS क्या है?
BNSS का पूरा नाम है Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023। यह भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC – Code of Criminal Procedure) की जगह लेने के लिए लाई गई नई प्रक्रिया संहिता है। इसका उद्देश्य भारतीय आपराधिक कानून व्यवस्था को आधुनिक बनाना है। BNSS 2023 में कुल 533 धाराएं हैं और यह CrPC 1973 को रिप्लेस करती है।
धारा 528 BNSS क्या है?
धारा 528 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 – BNSS) की एक महत्वपूर्ण धारा है, जो उच्च न्यायालय (High Court) की अंतर्निहित शक्तियों (inherent powers) को सुरक्षित रखती है। यह धारा स्पष्ट करती है कि इस संहिता में कुछ भी ऐसा नहीं है जो उच्च न्यायालय की उन अंतर्निहित शक्तियों को सीमित या प्रभावित करता हो, जिनका प्रयोग आवश्यक हो सकता है:
- इस संहिता के तहत किसी आदेश को प्रभावी बनाने के लिए;
- किसी न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए; या
- न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए।
यह प्रावधान पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 482 के समान है, जो उच्च न्यायालयों को न्याय के हित में आवश्यक आदेश पारित करने का अधिकार देती थी।
धारा 528 BNSS का मूल उद्देश्य:
इस धारा का उद्देश्य है:
528 BNSS का मुख्य उद्देश्य है कि उच्च न्यायालय कानूनी प्रक्रिया में किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोक सके, अनावश्यक या गलत एफआईआर या मुकदमे को रद्द कर सके, और न्याय की सही दिशा सुनिश्चित कर सके।
धारा 528 BNSS का महत्व
धारा 528 BNSS उच्च न्यायालयों को यह सुनिश्चित करने की शक्ति प्रदान करती है कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो और न्याय के उद्देश्य पूरे हों। इसके अंतर्गत उच्च न्यायालय निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
- किसी आदेश को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक निर्देश देना;
- न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकना;
- न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उचित आदेश पारित करना।
BNSS 528 मुख्यतः भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत है और यह उच्च न्यायालयों को विशेष रूप से FIR या अन्य कानूनी कार्यवाही को रद्द करने की स्पष्ट शक्ति देता है, खासकर जब न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा हो।
CrPC 482 उच्च न्यायालयों को व्यापक अंतर्निहित शक्ति देता है ताकि वे न्याय की पूर्णता और निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकें, जिसमें FIR रद्द करना भी शामिल हो सकता है लेकिन यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है।
धारा 528 BNSS और न्यायालयों का दृष्टिकोण
हाल ही में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धारा 528 BNSS के तहत एफआईआर को रद्द करने की उच्च न्यायालय की शक्ति के संबंध में महत्वपूर्ण प्रश्नों को नौ-न्यायाधीशों की पीठ को संदर्भित किया है। यह मामला यह निर्धारित करने के लिए है कि क्या उच्च न्यायालय धारा 528 BNSS के अंतर्गत एफआईआर और जांच को रद्द कर सकता है।
किन मामलों में केस ट्रांसफर हो सकता है?
- न्याय में बाधा उत्पन्न हो रही हो
- न्यायाधीश पक्षपाती हो
- किसी पार्टी को निष्पक्ष सुनवाई पर संदेह हो
- दोनों पक्षों की सहमति हो
- साक्ष्य या गवाहों की सुविधा के लिए स्थानांतरण उचित हो
- प्रशासनिक कारणों से केस स्थानांतरित करना आवश्यक हो
धारा 528 BNSS के प्रमुख बिंदु
- अंतर्निहित शक्ति (Inherent Power):
यह धारा उच्च न्यायालय (High Court) को उसकी पारंपरिक और अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति देती है। - CrPC की धारा 482 के स्थान पर:
यह CrPC 1973 की धारा 482 का प्रतिस्थापन है, जो उच्च न्यायालय को विशेष अधिकार देती थी। - न्याय हित की रक्षा:
जब न्याय की पूर्ति या उसकी रक्षा आवश्यक हो, तब हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है। - कोर्ट प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकना:
अगर किसी केस में कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा हो, तो कोर्ट उसे रोकने के लिए आदेश दे सकता है। - FIR या जांच रद्द करने की शक्ति:
धारा 528 BNSS के तहत, हाई कोर्ट किसी मामले की FIR, जांच या अन्य कार्यवाही को समाप्त कर सकता है। - कोई विशेष स्थिति आवश्यक नहीं:
यह शक्ति हाई कोर्ट के पास हमेशा उपलब्ध रहती है, जरूरी नहीं कि कोई अपील या आवेदन पहले से लंबित हो। - कोई विरोधी पक्ष आवश्यक नहीं:
हाई कोर्ट खुद संज्ञान लेकर भी इस शक्ति का प्रयोग कर सकता है। - उद्देश्य:
न्यायालय की गरिमा बनाए रखना और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना। - अधिकार क्षेत्र सीमित नहीं:
यह धारा पूरे राज्य में हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में लागू होती है। - न्यायिक संतुलन बनाए रखने का साधन:
यह धारा न्यायिक संतुलन बनाए रखने में उच्च न्यायालयों का सबसे शक्तिशाली औजार है।
BNSS धारा 528 और CrPC धारा 482 में अंतर
बिंदु | BNSS धारा 528 | CrPC धारा 482 |
---|---|---|
कानून की प्रकृति | BNSS = भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (NCS Code), एक अलग कानूनी व्यवस्था | CrPC = भारतीय दंड संहिता (Criminal Procedure Code), देश का मुख्य आपराधिक प्रक्रिया कानून |
किसे शक्ति देती है | उच्च न्यायालयों को | उच्च न्यायालयों को |
शक्ति का प्रकार | कानूनी कार्यवाही (जैसे FIR) को रद्द करने की अंतर्निहित शक्ति | न्याय की पूर्णता और निष्पक्षता के लिए किसी भी कानूनी कार्यवाही को नियंत्रित या रद्द करने की अंतर्निहित शक्ति |
मुख्य उद्देश्य | – न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकना – बिना ठोस आधार के एफआईआर या कार्यवाही को रद्द करना – न्याय के उद्देश्य की पूर्ति सुनिश्चित करना | – न्याय की पूर्णता बनाए रखना – अन्याय या प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकना – बिना किसी विशेष प्रावधान के न्यायालय की मदद करना |
FIR रद्द करने की शक्ति | स्पष्ट रूप से FIR रद्द करने का अधिकार | FIR रद्द करने का अधिकार अप्रत्यक्ष रूप से (न्यायिक हस्तक्षेप के तहत) |
अनुवर्ती याचिका | अनुवर्ती याचिकाओं पर भी विचार की अनुमति, तथ्यों में बदलाव होने पर | अनुवर्ती याचिकाओं पर विचार की अनुमति, पर सख्त मानदंड लागू |
कानूनी कार्यवाही की सीमा | विशेष रूप से नागरिक सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए | सभी आपराधिक मामलों में व्यापक अधिकार |
अधिकार का दायरा | न्यायालय की अंतर्निहित शक्ति का संरक्षण | न्यायालय की व्यापक अंतर्निहित शक्तियों का प्रावधान |
Disclaimer (अस्वीकरण)
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शैक्षणिक उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी भारतीय कानून में हुए परिवर्तनों और उपलब्ध स्रोतों के आधार पर लिखी गई है। हम इसकी पूर्णतः सटीकता या अद्यतन स्थिति की गारंटी नहीं देते। किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह, निर्णय या कार्रवाई से पहले कृपया किसी योग्य वकील या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। इस लेख में किसी भी त्रुटि या अधूरी जानकारी के लिए लेखक या वेबसाइट की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
528 BNSS FAQs ?
प्रश्न 1: BNSS का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: BNSS का पूरा नाम Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 है।
प्रश्न 2: BNSS किस कानून की जगह आया है?
उत्तर: BNSS ने CrPC यानी Code of Criminal Procedure, 1973 की जगह ली है।
प्रश्न 3: BNSS में कुल कितनी धाराएं हैं?
उत्तर: BNSS में कुल 533 धाराएं हैं।
प्रश्न 4: धारा 528 BNSS का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: BNSS 528 मुख्यतः भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत है और यह उच्च न्यायालयों को विशेष रूप से FIR या अन्य कानूनी कार्यवाही को रद्द करने की स्पष्ट शक्ति देता है
प्रश्न 5: Section 528 किस पुराने सेक्शन के समान है?
उत्तर: यह CrPC की Section 482 के समान मानी जाती है।
प्रश्न 6: धारा 528 किस स्थिति में लागू होती है?
उत्तर: जब निष्पक्ष न्याय के लिए BNSS 528 मुख्यतः भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता उच्च न्यायालयों को विशेष रूप से FIR या अन्य कानूनी कार्यवाही को रद्द करने की स्पष्ट शक्ति देता है
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